शिव शंकर चंदेल जिन्हें रेलवे ने दिया जीरो दुर्घटना अवार्ड और ढाई लाख रुपए

सामना:- बिलासपुर:- खोंगसरा के निवासी शिव शंकर जिनकी 37 साल की नौकरी में ड्यूटी के दौरान ट्रेन से न तो मानव और न ही रेल संपत्ति को नुकसान हुआ। सिग्नल तोड़ने जैसी लापरवाही भी नहीं हुई। एक साल की प्रक्रिया के बाद उन्हें रेल प्रशासन ने जीरो दुर्घटना अवार्ड पुरस्कार ससम्मान दिया है।
उनकी रेलवे में नौकरी 1986 में लगी। शुरुआत उन्होंने गुड्स ट्रेन से की। उस समय वह सहायक चालक थे। जैसे-जैसे नौकरी के अगले पड़ाव में पहुंचते गए, उनका प्रमोशन होता गया। वे बाद में चालक बने और कोचिंग ट्रेन के परिचालन की जिम्मेदारी मिली। 37 साल की नौकरी पूर्ण होने के बाद वर्ष 2023 में सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्त के साथ उनका पूरा भुगतान भी हो गया। उन्हें इस बात की जानकारी है कि यदि नौकरी के दौरान ट्रेन परिचालन के समय किसी तरह की दुर्घटना या क्षति नहीं हुई तो रेलवे ऐसे ट्रेन चालकों को जीरो दुर्घटना अवार्ड से सम्मानित करती है। इसके लिए आवेदन करना होता है।
लिहाजा उन्होंने इस अवार्ड को अपने नाम करने के लिए रेल प्रशासन को आवेदन किया। ऐसा नहीं है कि आवेदन के बाद सीधे अवार्ड के लिए नाम का चयन कर दिया जाता है। इसके लिए रेलवे
रेलवे की एक टीम सर्विस रिकार्ड खंगालती है। इसके अलावा कई प्रक्रियाएं हैं, जिसे पूरी की जाती है। इस प्रक्रिया को पूरी होने में लगभग एक साल लग गए। जांच के दौरान रेलवे ने यह पाया कि उनसे न तो मानवहानि हुई और न ही रेल संपत्ति की। सिग्नल ओवरशूट जैसी घटना भी उनसे नहीं हुई। लिहाजा रेलवे ने शिव शंकर को इस अवार्ड का हकदार पाया। इस अवार्ड के लिए उन्हें रेलवे ने ढाई लाख रुपये का पुरस्कार दिया है। तीन दिन पहले तीन अप्रैल को उनके खाते में अवार्ड की राशि रेलवे ने जमा कर दी है। जब उन्हें अवार्ड व राशि जमा होने की जानकारी मिली तो खुशी का ठिकाना नहीं था। परिवार के सदस्य भी बेहद खुश थे।
