भाजपा का अभेद गढ़ रायगढ़, कांग्रेस को जीत की तलाश

सामना:- Loksabha Election 2024:- छत्तीसगढ़ की दो ऐसी संसदीय सीट हैं जिसे भाजपा का गढ़ कहा जाता है।यह सीटें हैं रायगढ़ और सरगुजा।इन दोनों ही सीटों पर जीत हासिल करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौतियां हैं।
भाजपा का अभेद गढ़ है रायगढ़ सीट:- रायगढ़ सीट में आजादी के बाद से लोकसभा चुनाव में आठ बार कांग्रेस ने प्रत्याशी बदला है, लेकिन सफलता नहीं मिली। नंदकुमार साय ने भाजपा को जीत दिलाकर नींव को मजबूत किया, बाद में भाजपा के विष्णुदेव साय वर्तमान मुख्यमंत्री ने 1999 से लगातार जीत को बनाए रखा।वहीं गोमती साय ने 2019से 2024 तक इस जीत को कायम रखा।भाजपा के इस अभेद गढ़ को भेदने के लिए कांग्रेस ने इस बार राजघराने की डॉ.मेनका सिंह को प्रत्याशी बनाया है।
2018 में कांग्रेस ने संसदीय क्षेत्र के आठ विधानसभा में कब्जा जमाया और जीत के लिए अनुकूल माहौल बनाया था किंतु मोदी लहर में गोमती साय ने जीत हासिल कर ली।
रायगढ़ सीट भाजपा की पारंपरिक सीट है, यहां हमेशा भाजपा को जीत मिलती आई है। इस बार यहां से भाजपा ने युवा व नए चेहरे राधेश्याम राठिया पर दांव खेला है। वहीं कांग्रेस ने राजघराने की 70 वर्षीया डाक्टर मेनका देवी सिंह को मैदान में उतारा हैं।अब देखना यह लाज़िमी होगा कि क्या इस बार भी भाजपा अपनी पारंपरिक जीत हासिल करेगी या कांग्रेस के जीत की तलाश इस बार पूरी होगी।
सरगुजा में लगातार रही भाजपा:- सरगुजा सीट पर राज्य बनने के बाद 2003 से भाजपा के प्रत्याशियों को बड़ी जीत मिलती आ रही है।हर बार वोट प्रतिशत भी बढ़ा है सरगुजा सीट अंतर्गत तीन जिले सरगुजा, सूरजपुर और बलरामपुर शामिल है। आठ विधानसभा क्षेत्र वाले इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस विधानसभा चुनाव में लगातार मजबूत रही है लेकिन बीते विधानसभा चुनाव में सभी आठ सीटें कांग्रेस को गंवानी पड़ी। इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है लेकिन यहां के मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में हमेशा भाजपा को चुना है।छत्तीसगढ़ राज्य बनने से पहले कांग्रेस मजबूत थी,लेकिन राज्य बनने के बाद लोकसभा चुनाव में इस सीट पर अब तक सफलता नहीं मिली है। 2004 में नंदकुमार साय, 2009 में मुरारी लाल सिंह, 2014 में कमलभान सिंह, 2019 में रेणुका सिंह भाजपा के प्रत्याशी बनाए गए और सभी ने सर्वाधिक मतों से जीत दर्ज की। “कांग्रेस को अभी भी जीत की तलाश है।
