साइको व्यक्ति की पहचान,लक्षण और उपाय,बिल्कुल ना करें अनदेखा

सामना:- Psychopathy:- सनकी, साइको यानी साइकोपैथ…ये अजीब तरह का व्यवहार करने वाले लोगों के लिए कहा जाता है, वो लोग जो साइकोपैथिक डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं।जिनकी पहचान करना आसान नहीं है।साइकोपैथ एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कोई शारीरिक दोष नहीं है लेकिन विवेक की कमी है। ऐसे लोग मानवीय भावनाओं को नहीं समझते हैं। मनोरोगी अपने आसपास के अन्य लोगों के लिए सामान्य हैं। दूसरी ओर वे अपने आसपास के कुछ लोगों के साथ मानवीय भावनाओं के खिलाफ एक कठोर चट्टान की तरह बुरा व्यवहार करते हैं।
ऐसे करे पहचान:– आइए इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं कुछ ऐसे लक्षण जिनसे आप पता लगा सकते हैं कि आसपास मौजूद इंसान साइकोपैथ है या नहीं
आक्रामक स्वभाव:– ऐसे लोग दूसरों को नुकसान पहुंचा देते हैं,इनमें मन में कानून या समाज का कोई डर नहीं होता है।अपराध करने के बाद मन में कोई पछतावा भी नही होता है।किसी की परवाह न करना और इमोशन कम होना।किसी बात पर अचानक गुस्सा होना और व्यवहार में बदलाव आना,दूसरे व्यक्ति के दुख या दर्द को न समझना ये लोग बिना सोचे समझे कोई निर्णय लेते हैं और खुद के ऊपर कंट्रोल भी नहीं होता है।इस डिसऑर्डर से पीड़ित इंसान को यह पता भी नहीं होता है कि वे इस बीमारी का शिकार है।
बार बार झूठ बोलना:– एक मनोरोगी छोटी-छोटी बातों में झूठ बोलता है। वे केवल वही कहते हैं जो उन्हें लाभान्वित करें, इसलिए वे झूठ बोलते हैं और अपना रास्ता बनाते हैं। एक मनोरोगी हर तरह के झूठ बोलेगा, चाहे वे आपको भ्रमित करने के लिए छोटे झूठ हों या आपको बेवकूफ बनाने के लिए बनाई गई भव्य कहानियां। वे हमेशा झूठ बोलेंगे, भले ही सच बोलने में कोई दिक्कत न हो।इससे उन्हें शर्मिंदगी नहीं होती है। बल्कि, उन्हें अपने झूठ पर गर्व होता है।अगर उनके झूठ का पता लगा लिया, तो वे केवल तथ्यों को संशोधित करके यह आभास देंगे कि वे सच कह रहे हैं।
गलती स्वीकार ना करना:– एक मनोरोगी कभी भी ईमानदारी से स्वीकार नहीं करेगा कि वह गलत है, वह अपनी गलतियों या अपने गलत फैसलों को स्वीकार नहीं करेगा। उस पर दबाव डालने पर वह स्वीकार कर सकता है कि उसने गलती की है, लेकिन किसी भी परिणाम से बचने के लिए वह दूसरों को मेनिपुलेट करेगा।मनोरोगी दूसरों की भावनाओं और असुरक्षाओं को मेनिपुलेट करने में माहिर होते हैं ताकि उन्हें पीड़ित के रूप में देखा जा सके।
ऐरोगेंस:– एक मनोरोगी अभिमानी यानी अहंकारी भी होता है। वे हमेशा अपनी उपलब्धियों के बारे में डींग मारते हैं मनोरोगी सोचते हैं कि वे किसी और से ज्यादा मायने रखते हैं और अपने आत्म-मूल्य के बारे में बात करते रहते हैं। जब आप अपनी उपलब्धियों के बारे में बात करते हैं तो वे असहज महसूस करते हैं।
खुद को चालाक मानना:– अक्सर ये लोग खुद को ज्यादा चालाक या अधिक शक्तिशाली मानते हैं। एक मनोरोगी अपने आप को सफल और शक्तिशाली व्यक्तियों के साथ घेरना पसंद करता है क्योंकि इससे उनकी सामाजिक स्थिति को बढ़ावा मिलता है। वो ऐसा भी मान सकता है कि वह विशेष व्यवहार के योग्य है।
स्वार्थी :– मनोरोगी स्वार्थी होते हैं और अपनी भावनात्मक स्थिति के आधार पर शालीनता से व्यवहार करते हैं। ये वही काम करते हैं जो ये चाहते हैं और तभी करते हैं, जब वे करना चाहते हैं। इसी वजह से वो किसी को भी धोखा दे सकते हैं, झूठ बोल सकते हैं और चोरी तक कर सकते हैं। वे बिना किसी कारण के अपनी नौकरी भी छोड़ सकते हैंअपने फायदे के लिए जो कुछ भी करना होगा वो करेंगे और उन्हें कोई परवाह नहीं होगी कि इस प्रक्रिया में वो किसे ठेस पहुंचा रहे हैं।
नाटक करना:– मनोरोगी भ्रम और नाटक पैदा करना पसंद करते हैं। दिलचस्प बने रहने के लिए पहले वे बहस को उकसाते हैं और तर्क देते हैं, फिर वे खुद ही पीड़ित की भूमिका में आ सकते हैं। यह लोगों के जीवन को उल्टा कर देता है, फिर वापस बैठकर देखता है जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
रिश्तों में ईमानदार ना होना :- वैवाहिक समस्याओं के लिए अपने साथी को दोषी ठहराते हैं और कभी भी ऐसा नहीं बताते कि अपनी शादी के सफल न होने में उनका भी कोई दोष था।ये अपने पार्टनर को आदर्श बनाकर रिश्ते की शुरुआत करेंगे। समय के साथ, वे अपने साथी को नीचा दिखाएंगे और आखिर में वो उस शादी को त्याग देंगे। मनोरोगी ने कभी भी अपने जीवन साथी के साथ सच्चा बंधन स्थापित ही नहीं कर पाता इसलिए, वह बहुत आसानी से शादी से दूर चला जाता है।
लक्षण:– बचपन में दिखने वाले इन पांच लक्षणों से भी इसकी पहचान की जा सकती है
1बहुत सनकी बर्ताव करना
2स्वभाव चिड़चिड़ा होना
3बिना कुछ सोचे समझे निर्णय लेना
4खुद पर कंट्रोल न होना
5कोई भी काम करने से पहले ज्यादा न सोचना
कारण:– स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार बचपन में हुई घटनाओं का भी बच्चे के दिमाग पर असर पड़ता है। कम उम्र में ही पता चल जाता है कि बच्चा का स्वभाव आगे चलकर कैसा हो सकता है।ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि 10 से 16 साल की उम्र में बच्चे की रूची क्या है?? वह क्या देख रहा है??पढ़ाई में क्या करता है और सामजिक जीवन में उसका व्यवहार कैसा है। अगर उससे एंटी सोशल डिसढर्डर है तो इस बात की आशंका रहती है कि साइको हो सकता है।
इलाज:– साइकोपैथ डिसऑर्डर का कोई निर्धारित इलाज नहीं है केवल लक्षणों के आधार पर मरीज को दवाएं और थेरेपी दी जाती है।चिंता की बात यह है कि इस डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को लंबे समय तक अपनी बीमारी का पता नहीं होता है, ऐसे में इलाज करना काफी कठिन हो जाता है। लेकिन समय रहते इनकी पहचान कर दवा और थेरेपी के माध्यम से इनका सुधार जरूरी है वरना कई बार ये आसपास के लोगो के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं
