June 19, 2025

अयोध्या की हार बना सोशल मीडिया पर मुद्दा,जमकर कोस रहे लोग

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सामना:- लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जो 400 पार का नारा मजबूती के साथ दिया था परिणाम उसके उलट आए,यहां तक कि भाजपा बहुमत के जादुई आंकड़ों को भी छू नहीं पाई।ऐसे भी भाजपा को तीसरी बार सरकार बनाने अन्य दलों का सहारा लेना पड़ रहा है।

इन परिणामों में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे अयोध्या से आए,जहां बीजेपी खुद को मजबूत किले के रूप में देख रही थी,लेकिन चुनाव परिणाम इसके बिल्कुल उलट आए और भाजपा को अयोध्या में हार का सामना करना पड़ा।

अयोध्या में भाजपा को मिली करारी शिकस्त को सनातन धर्म में विश्वास रखने वाली देश की जनता स्वीकार नहीं कर पा रही है। मंगलवार देर शाम से ही सोशल मीडिया पर अयोध्या की हार को लेकर तीखी प्रतिक्रिया आ रही है और लोग अयोध्यावासियों को जमकर कोस रहे हैं।

हर प्लेटफार्म पर लोग अयोध्यावासियों को सीट हराने के लिए लानत, मलानत भेज रहे हैं। एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम व व्हाट्सअप पर यूजर इस करारी हार के लिए जिम्मेदार फैजाबाद संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं।

शर्म करो, धिक्कार है’ की मिल रही टिप्पणी
सबसे ज्यादा वायरल रामानंद सागर के धारावाहिक रामायण का एक संवाद वायरल हो रहा है जिसमें राम की भूमिका में अरुण गोविल सीताजी को समझा रहे हैं कि ‘जनता को तुम नहीं जानती हो, जनता से बड़ा स्वार्थी व निर्दयी कोई भी नहीं होता, अपने स्वार्थ के लिए वो राजा से उसकी रक्त की अंतिम बूंद तक मांग लेती है, लेकिन जब राजा के लिए उसे कुछ त्यागना पड़े तो वह क्षण भर में मुंह फेर लेती है।’ इसके साथ ही शर्म करो, तुम पर धिक्कार है का ‘टैग’ लगाकर लोग वायरल कर रहे हैं। कहा, इतिहास गवाह है कि अयोध्यावासियों ने हमेशा ही सच्चे राजा के साथ विश्वासघात ही किया है, धिक्कार है।

लगता है रामराज नहीं रावणराज चाहिए
फेसबुक पर तरह तरह के कमेंट की भरमार है उसमें प्रमुख रूप से ‘अयोध्या में इतने विकास के बाद भी बीजेपी की सीट नहीं निकली, लगता है अयोध्या को रामराज नहीं रावणराज चाहिए’।

‘आज सभी को पता चल गया कि राममंदिर 500 वर्षो तक क्यूं नहीं बन पाया’ ……….‘हम भूल गए कि यह वही अयोध्यावासी हैं जिन्होंने वनवास से आने के बाद सीता माता पर ही संदेह किया था’……………… ‘अयोध्या वाले जब त्रेता युग में राम के नहीं हुए तो कलयुग में कैसे हो जाते’.……. एक अन्य पोस्ट में कहा गया कि…. ‘रामायण का अंतिम ज्ञान ये है कि राजाराम ने कितना भी कष्ट सहकर प्रजा को संतुष्ट करना चाहा लेकिन प्रजा कभी संतुष्ट नहीं हुई, वही हाल आज भी है’….. इस तरह की पंक्तियों वाले स्टेटस इस वक्त भरे पड़े हैं।