छत्तीसगढ़ के इस गाँव में होती है भाई-बहन की शादी

सामना– छत्तीसगढ़ में एक ऐसी जनजाति रहती है, जहां भाई और बहन की शादी का रिवाज है, इस जनजाति के लोग भाई-बहनों की शादी करवा देते हैं। इस शादी को समाज से आशीर्वाद भी मिलता है।इसमें ज्यादातर चचेरे भाइयों से या फिर फुफेरे भाइयों से शादी करवाई जाती है।
धुरवा जनजाति छत्तीसगढ़ के सबसे बड़ी जनजातियों में से एक है, यहां शादी में अग्नि नहीं बल्कि पानी को साक्षी मानकर फेरे लिए जाते हैं, अगर कोई शादी से इंकार करता है तो उसे सजा दी जाती है।
छत्तीसगढ़ के धुरवा आदिवासी भाई-बहनों की ही शादी करवा देते हैं।अगर चाचा अपने बेटे की शादी का रिश्ता लेकर आए और उसे ठुकरा दिया जाता है, तब सामने वाले पर जुर्माना लगाया जाता है।
अपने ही भाई-बहन में शादी करने से जेनेटिक बीमारियां तेजी से बढ़ती है,साथ ही आने वाली पीढ़ियों पर भी इसका दुष्परिणाम देखने को मिलता है,इन सब ज्ञान के बाद अब इस जनजाति के युवा इस परंपरा से पीछे हट रहे हैं, कई लोग अपने पेरेंट्स से बगावत कर इस परंपरा को दरकिनार कर रहे हैं।
