June 18, 2025

Navel Sidestep नाभि खिसक जाए तो ऐसे करें तुरंत ठीक,हमेशा के लिए समस्या होगी खत्म

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सामना – नाभि खिसकना या नाभि टालना यह ऐसी समस्या है जो अक्सर सुनने में आती है,अगर आपको भी यह परेशानी है तो कुछ उपायों के द्वारा आप इस परेशानी से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं….आइए जानते है कैसे होगी यह समस्या हमेशा के लिए खत्म…

नाभि खिसकना क्या है

हाथ पैर में किसी प्रकार झटका लग जाए या फिर चढ़ते-उतरते चलते समय ढीला पाँव पड़ने से नाभि में स्थित समान वायु चक्र अपने स्थान से दायें-बाएं या उपर-नीचे सरक जाता है तो इसे नाभि का टलना कहा जाता है,और जब तक इसे अपने नियत स्थान पर पुन:स्थापित नही कर दिया जाये रोगी का आराम नहीं होता है और लापरवाही करने पर ये हमेशा के लिए अपनी जगह बना लेता है।

नाभि पुरुषो में बायीं तरफ और स्त्रियों में दायी ओर टला करती है

नाभि खिसकने से समस्याएं

परिणाम ये होता है कि पेट दर्द ,पेचिस-पतले दस्त ,पेट आम जाना पेट फूलना-अरूचि-हरारत आदि होता है। योग में नाड़ियों की संख्या बहत्तर हजार से ज्यादा बताई गई है और इसका मूल उदगम स्त्रोत नाभिस्थान है कई बार नाभि के टल जाने पर भी कब्ज की शिकायत हो जाती है और जब तक नाभि टली है तब तक कब्ज ठीक नहीं हो सकता है अत:इसके लिए हमें सबसे पहले अपनी नाभि की जांच करवा लेनी चाहिए अगर नाभि स्पंदन केंद से खिसक गई है तो उसे नाभि टलना कहते हैं इसके सही जगह में आते ही कब्ज की परेशानी दूर हो जाती है।

नाभि खिसकने के नुकसान

नाभि में लंबे समय तक अव्यवस्था चलती रहती है तो उदर विकार के अलावा व्यक्ति के दाँतों, नेत्रों व बालों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है और दाँतों की स्वाभाविक चमक कम होने लगती है तथा यदाकदा दाँतों में पीड़ा होने लगती है और नेत्रों की सुंदरता व ज्योति क्षीण होने लगती है-बाल असमय सफेद होने लगते हैं-आलस्य, थकान, चिड़चिड़ाहट, काम में मन न लगना, दुश्चिंता, निराशा, अकारण भय जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों की उपस्थिति नाभि चक्र की अव्यवस्था की उपज होती है।

नाभि ऊपर खिसक जाए तो क्या होता है

यदि नाभि का स्पंदन ऊपर की तरफ चल रहा है यानि छाती की तरफ तो अग्न्याशाय खराब होने लगता है इससे फेफड़ों पर गलत प्रभाव होता है और मधुमेह, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं।

नाभि नीचे खिसक जाए तो क्या होता है

यदि यह स्पंदन नीचे की तरफ चली जाए तो पतले दस्त होने लगते हैं और बाईं ओर खिसकने से शीतलता की कमी होने लगती है सर्दी-जुकाम, खाँसी, कफ-जनित रोग जल्दी-जल्दी होते हैं।

नाभि दाहिने तरफ खिसक जाए तो क्या होता है

दाहिनी तरफ हटने पर लीवर खराब होकर मंदाग्नि हो सकती है पित्ताधिक्य, एसिड, जलन आदि की शिकायतें होने लगती हैं इससे सूर्य चक्र निष्प्रभावी हो जाता है और गर्मी-सर्दी का संतुलन शरीर में बिगड़ जाता है इस कारण मंदाग्नि, अपच, अफरा जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं।

नाभि पेट के ऊपर आ जाए तो क्या होता है

यदि नाभि पेट के ऊपर की तरफ आ जाए यानी रीढ़ के विपरीत तो फिर मोटापा हो जाता है या वायु विकार हो जाता है और यदि नाभि नीचे की ओर( रीढ़ की हड्डी की तरफ )चली जाए तो व्यक्ति कुछ भी खाए वह दुबला होता चला जाएगा तथा नाभि के खिसकने से मानसिक एवं आध्यात्मिक क्षमताएँ कम हो जाती हैं।

गर्भधारण से भी जुड़ी है नाभि की समस्या

यदि नाभि ठीक मध्यमा स्तर के बीच में चलती है तब स्त्रियाँ गर्भधारण योग्य होती हैं और यदि यही मध्यमा स्तर से खिसककर नीचे रीढ़ की तरफ चली जाए तो ऐसी स्त्रियाँ गर्भ धारण नहीं कर सकतीं है।अकसर यदि नाभि बिलकुल नीचे रीढ़ की तरफ चली जाती है तो फैलोपियन ट्यूब नहीं खुलती और इस कारण स्त्रियाँ गर्भधारण नहीं कर सकतीं है कई वंध्या स्त्रियों पर प्रयोग कर नाभि को मध्यमा स्तर पर लाया गया तब इससे वंध्या स्त्रियाँ भी गर्भधारण योग्य हो गईं लेकिन कुछ मामलों में उपचार वर्षों से चल रहा था एवं चिकित्सकों ने यह कह दिया था कि यह गर्भधारण नहीं कर सकती किन्तु नाभि-चिकित्सा के जानकारों ने इलाज किया है।

नाभि खिसकने की स्तिथि पता करने का तरीका

1तरीका – सबसे पहले आप दोनों पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं और अब दोनों हाथों को सामने सीधा करके मिला लें तथा हथेलियों के बीच स्थित रेखाओं को आपस में मिलाकर देखें कि दोनों हाथों की छोटी उंगली समान है या छोटी-बड़ी दिखाई दे रही है और अगर वे समान है तो फिर आपकी नाभि ठीक स्थान पर है और यदि उंगलियां छोटी-बड़ी लगती हैं तो फिर इसका मतलब आपकी नाभि टली हुई है।


2 तरीका – सुबह खाली पेट हाथ और पैरों को ढीला छोड़करसीधे लेट जाएं तथा अब सीधे हाथ का अंगूठा व उसके साथ वाली दो अंगुलियों को मिलाकर पेट में नाभि स्थान पर रखें और दबाकर देखें कि नाभि स्पंदन महसूस हो रहा है या नहीं-यदि स्पंदन नाभि के ठीक बीच में है तो फिर नाभि ठीक है और अगर वो किनारे या ऊपर-नीचे है तो फिर आपकी नाभि टली है।

नाभि को अपने स्थान पर लाने का उपाय

लेटकर नाभि को दबाकर महसूस करें तो छोटी सी गेंद जैसी कोई चीज़ धड़कती महसूस होती है,यदि ये धड़कन ठीक नाभि के नीचे हो तो सही मानी जाती है,यदि इधर उधर हो तो कब्ज़ ,दस्त की शिकायत होती है.नाभि हमारे शारीर की 7200 नाड़ियों का संगम है ,इसी कारण सारा शरीर प्रभावित होता है ,धरण ठीक करने के सैकड़ों तरीके सदियों से प्रभावी रूप में प्रचलित हैं।जिनमें से सबसे आसन तरीका  जो तुरंत परिणाम देता है।

धरण जांचने का तरीका ये है की अपने दोनों हाथों की रेखाए मिला कर छोटी उंगली की लम्बाई चैक करे,अंतर दिखने पर धरण की पुष्टि होती है,तब पीठ के बल लेट जाएँ,दोनों पैरों को 90° डिग्री एंगल पर जोड़ें ,आप देखेंगे की एक पैर छोटा है, एक बड़ा है.ये टली नाभि जांचने के तरीकें हैं।

पुष्टि होने पर इसे ठीक करने के लिए , छोटे पैर की टांग को धीरे-2 ऊपर उठायें 6,7,8,9, इंच तक उठायें,फिर धीरे-2 ही नीचे रखकर लम्बा सांस लें ,यही क्रिया दो बार और करें,ये क्रिया सुबह शाम ख़ाली पेट करनी चाहिए। पैरों को फिर मिलाकर देखें दोनों अंगूठे बराबर दिखेंगे। यानी आपकी नाभि सही जगह पर बैठ गयी है। फिर उठकर 20 ग्राम गुड, 20 ग्राम सौफ का बनाया चूरन फांक लें पानी से .इससे पुराणी से पुराणी धरण आप खुद महिना दो महीने में ठीक कर सकतें है पेट को कभी भी मसल वाना नहीं चाहिए।


सबसे पहले आप दोनों हथेलियों को आपस में मिलाएं और हथेली के बीच की रेखा मिलने के बाद जो उंगली छोटी हो यानी कि बाएं हाथ की उंगली छोटी है तो बायीं हाथ को कोहनी से ऊपर दाएं हाथ से पकड़ लें-इसके बाद बाएं हाथ की मुट्ठि को कसकर बंद कर हाथ को झटके से कंधे की ओर लाएं आप ऐसा आठ-दस बार करें इससे नाभि सेट हो जाएगी।


कमर के बल लेट जाएं और पादांगुष्ठनासास्पर्शासन कर लें-इसके लिए लेटकर बाएं पैर को घुटने से मोड़कर हाथों से पैर को पकड़ लें व पैर को खींचकर मुंह तक लाएं-सिर उठा लें व पैर का अंगूठा नाक से लगाने का प्रयास करें ठीक जैसे छोटा बच्चा अपना पैर का अंगूठा मुंह में डालता है-कुछ देर इस आसन में रुकें फिर दूसरे पैर से भी यही करें-फिर दोनों पैरों से एक साथ यही अभ्यास कर लें बस दो-तीन बार करने के बाद नाभि सेट हो जाएगी।


इसके अलावा उत्तानपादासन, मत्स्यासन, धनुरासन व चक्रासन भी नाभि सेट करने में कारगर होते हैं

कमर के बल लेटकर पेट की मालिश भी की जा सकती है इसके लिए सरसों का तेल लेकर पेट पर लगाएं और नाभि स्पंदन जो ऊपर या साइड में सरक गया है उस पर अंगूठे से दबाव डालते हुए नाभि केंद में लाने का प्रयास करे।


दो चम्मच पिसी सौंफ, ग़ुड में मिलाकर एक सप्ताह तक रोज खाने से नाभि का अपनी जगह से खिसकना रुक जाता है।
मरीज को सीधा (चित्त) सुलाकर उसकी नाभि के चारों ओर सूखे आँवले का आटा बनाकर उसमें अदरक का रस मिलाकर बाँध दें एवं उसे दो घण्टे चित्त ही सुलाकर रखें आपके दिन में दो बार यह प्रयोग करने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है तथा दस्त आदि उपद्रव शांत हो जाते हैं।


नाभि खिसक जाने पर व्यक्ति को मूँगदाल की खिचड़ी के सिवाय कुछ न दें तथा दिन में एक-दो बार अदरक का 2 से 5 मिलिलीटर रस पिलाने से लाभ होता है।


नाभि बार बार स्थान च्युत होने से रोकने के लिए नाभि सेट करके पाँव के अंगूठों में चांदी की कड़ी भी पहिनाई जाती है। कमर पेट हमेशा कस कर बांधे जाने चाहिए। इससे भविष्य में नाभि टलने की समस्या से छुटकारा मिलता है।