Raigarh- यूं ही कोई नहीं बन जाता सलीम- जयंत-लक्ष्मी,नेताप्रतिपक्ष कौन

सामना -रायगढ़ – रायगढ़ नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं जहां लोकसभा, विधानसभा की तर्ज पर जनता ने नगरीय निकाय में भी भाजपा को सरताज बनाया है।
बीजेपी की इस आंधी में महापौर सहित 33 वार्डों में भाजपा प्रत्याशियों ने जीत का सेहरा अपने सिर बांधा है,वहीं कांग्रेस को 12 सीटों पर संतोष करना पड़ा।
हार के पलड़े में जीते हुए कांग्रेसियों ने यह साबित कर दिया कि पार्षद का चुनाव में महत्व पार्टी से अधिक व्यक्तिगत चेहरे का है।
चेहरों पर जनता ने किया भरोसा
बीजेपी की इस लहर में वार्ड नंबर 12 से वरिष्ठ कांग्रेस पार्षद और पूर्व सभापति जयंत ठेठवार,वार्ड नंबर 17 से वरिष्ठ कांग्रेस पार्षद और पूर्व सभापति सलीम नियारिया सहित वार्ड नंबर 12 से कांग्रेस पार्षद लक्ष्मी साहू ने लहर के विपरीत अपनी जीत का परचम लहराकर यह साबित कर दिया कि आंधी में अपने किले का बचाव करना उन्हें बखूबी आता है।
कांग्रेस के कई दिग्गज हारे
हालांकि भाजपा की इस आंधी ने कई कांग्रेसियों के किले को ध्वस्त भी किया है,ओपी के विजन पर रायगढ़ की जनता ने अपनी सहमति की मुहर लगाई,ऐसे में इस आंधी में कई कांग्रेसी दिग्गजों को मात मिली,जिनमें,दयाराम साहू, लखेश्वर मिरि,प्रभात साहू और रत्थू जायसवाल जैसे अपराजेय योद्धाओं को हार का सामना करना पड़ा।
सलीम के नेतृत्व पर वार्डवासियों का भरोसा कायम
वहीं कांग्रेस के अभेद गढ़ में पहला वार्ड आता है वार्ड नंबर 17 जहां 30 सालों से वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सभापति रहे सलीम नियारिया ने लगातार 7 वीं बार जीत हासिल कर ना केवल प्रदेश के पहले लगातार जीतने वाले नेता बने , बल्कि उन्होंने यह जता दिया कि नेतृत्व क्षमता मजबूत हो तो आंधी से भी अपने किले को बचाया जा सकता है।लहर के विपरीत जनता ने उनके नेतृत्व को चुना और इस चुनाव में सलीम 469 मतों से जीते।सलीम नियारियां अपने कुशल नेतृत्व के अलावा अपनी सादगी,नम्र व्यवहार और अपने सिद्धांतों के लिए जाने जाते हैं। यही वजह है कि सलीम को चुनाव के वक्त जीत की तैयारी नहीं करनी पड़ती क्योंकि वह पांच सालों तक अपने पद का निर्वहन बखूबी करते हैं।

50 लाख का वादा भी नहीं ढहा सका जयंत का किला
शहर के वार्ड नंबर से लगातार 6 वीं बार जीत हासिल कर चुके कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले वरिष्ठ पार्षद और पूर्व सभापति,पूर्व नेता प्रतिपक्ष पूर्व जिलाध्यक्ष रहे जयंत ठेठवार की पकड़ अपने वार्ड में इतनी मजबूत है कि यहां लाख कोशिशों के बाद भी कमल खिल नहीं पाया,भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र ठेठवार के चुनावी कार्यालय के उद्घाटन के दौरान रायगढ़ विधायक और प्रदेश के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने इस वार्ड के विकास के लिए 50लाख रुपए के विकास कार्यों की घोषणा की थी, लेकिन जयंत के आगे वार्ड की जनता ने 50 लाख रुपए के कार्यों को महत्व नहीं दिया और 568 मतों से जयंत ने जीत हासिल की जो इस बात का संकेत है कि पार्षद चुनाव के लिए जनता पार्टी से अधिक चेहरों पर भरोसा जताती है।

विषम परिस्थितियों के बाद भी जीते लक्ष्मी नारायण साहू
2004 में पहली बार लक्ष्मी नारायण साहू ने भाजपा पार्षद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की,2009 में टिकट ना मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते फिर 2014 में अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाया और इस बार भी जीत का स्वाद चखा,2019 में कांग्रेस में शामिल होकर फिर जीत का परचम लहराया,और 2025 में चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में फिर फतह हासिल की और यह जता दिया कि वार्ड की जनता विषम परिस्थितियों के बाद भी उनका साथ दिया। इस वार्ड में भी विधायक ओपी चौधरी ने चुनावी कार्यालय का उद्घाटन करते हुए वार्ड के लिए 50 लाख रुपए की घोषणा की थी,लेकिन लक्ष्मी के सामने वार्ड की जनता ने 50 लाख रुपए को भी नकार दिया।लक्ष्मी साहू ने 96 मतों से जीत हासिल की जबकि लक्ष्मी इस चुनाव में पारिवारिक दुखों के कारण प्रचार प्रसार में पीछे रहे,फिर भी वार्ड की जनता उनके साथ खड़ी रही।

नेता प्रतिपक्ष की रेस में सलीम जयंत
यह तो साफ हो चुका है कि शहर सरकार भाजपा संभालेगी और सभापति भी भाजपा से ही होगा, विपक्ष की भूमिका में बैठी कांग्रेस के पास सिर्फ एक ही विकल्प बचा है नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर काबिज होने का।
नेता प्रतिपक्ष के पद पर कांग्रेस के जीते पार्षदों में से कोई एक होगा। नेता प्रतिपक्ष की रेस में दो ही नाम सामने आते हैं सलीम नियारिया और जयंत ठेठवार इन दोनों ही दिग्गजों में से इस पद के लिए दोनों का ही पलड़ा भारी है,ऐसे में इन दोनों ही नेताओं में से किसी एक का चयन करना कांग्रेस के लिए असमंजस की स्थिति है,हालांकि पिछले कार्यकाल में जब शहर सरकार कांग्रेस की थी तब जयंत सभापति के पद पर आसीन थे,इस लिहाज से यह संभावना है कि इस बार मौका सलीम को मिलेगा…
संपादकीय सिमरन पन्गरे
