June 22, 2025

नरवा विकास से मानव हाथी द्वंद में आई कमी…रायगढ़ वनमण्डल के 34 नालों में स्ट्रक्चर बनाकर किया गया जल संरक्षण का कार्य…

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सामना न्यूज़:- राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा विकास कार्यक्रम का असर रायगढ़ वनमण्डल के वन क्षेत्रों में अब दिखने लगा है। इस वन क्षेत्र के दिसम्बर माह में सूख जाने वाले नालों में अब अप्रैल-मई तक पानी का बहाव रहता है। वन क्षेत्रों में भू-जल स्तर बढ़ा है। वन मंत्री  मोहम्मद अकबर ने कहा है कि रायगढ़ वन मण्डल के हाथी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामों जुनवानी, बंगुरसिया, अमलीडीह, छर्राटांगर, चक्रधरपुर, सामारूमा, सराईपाली, में हाथियों के लिए पीने हेतु जल की व्यवस्था वनक्षेत्रों में ही हो जाने से गांव की ओर उनका आगमन बहुत कम हो रहा है जिससे मानव हाथी द्वंद्व में भी कमी आई है।जगह-जगह जल का ठहराव होने से वन का संरक्षण एवं संवर्धन तथा वन्यप्राणियों के पीने हेतु बारहमासी नालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। नरवा विकास कार्यक्रम में नालों के ट्रीटमेंट से पहले स्थलों का वैज्ञानिक पद्धति से सॉफ्टवेयर के माध्यम से सर्वे किया जाता है तत्पश्चात् नरवा ट्रीटमेंट का कार्य प्रारंभ किया जाता है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक  व्ही. श्रीनिवास राव ने बताया कि पिछले चार वर्षाें में रायगढ़ वनमण्डल के 34 नालों में वाटर ट्रीटमेंट किया गया है। इससे जहां भू-क्षरण में कमी आई है, वहीं सिंचित क्षेत्र बढ़ा है। नरवा विकास कार्यक्रम के तहत वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा वैज्ञानिक पद्धति से नालों का उपचार और वर्षा जल के संचयन करने हेतु अनेक स्थानों पर रिज-टू-वैली कान्सेप्ट से ट्रीटमेंट किया जा रहा है। रायगढ़ वनमण्डल अंतर्गत राज्य कैम्पा मद से घरघोड़ा, तमनार, खरसिंया, रायगढ़, सारंगढ़, गोमर्डा अभ्यारण्य बरमकेला, गोमर्डा अभ्यारण्य सारंगढ़ परिक्षेत्रों में नरवा विकास कार्य के तहत् रिज में कंटूर ट्रेंच, ब्रशबुड चेकडेम, लूज बोल्डर चेकडेम, गेबियन तथा वैली में डाइक चेक डेम, स्टापडेम, अर्दन डेम जैसे स्ट्रक्चर बनाकर जल संरक्षण का कार्य किया जा रहा है और नाले में पहले से ज्यादा समय तक पानी दिखने लगा है तथा गांवों में भू-जल स्तर बढ़ रहा है। स्टाप डेम चेकडेम, अर्दन डेम का लाभ किसान लगातार उठा रहे है तथा वन्यप्राणियों के लिये भी कारगर साबित हो रहा है।रायगढ़ वनमण्डलाधिकारी सुश्री स्टायलों मण्डावी ने यह जानकारी दी है कि वनमण्डल में नरवा विकास योजना के तहत वर्ष 2019-20 में 8 नाला क्रमशः चक्रधरपुर नाला, पीड़ीझर नाला, सपनई नाला, दंतार नाला, कछार नाला, चीनी नाला, बेलपाली नाला, जीरा नाला का ट्रीटमेन्ट किया गया जिसमें 59166 हेक्टयर में 26061 स्ट्रक्चर का निर्माण कार्य कराया गया है जिसमें 45000 CUM वर्षा जल का संचयन हुआ। वर्ष 2020-21 में 9 नाला क्रमश : भंवरखोल नाला, चिटकाझरिया नाला, सेमरानाला पार्ट- 1 हाथिझरिया नाला, उपका नाला, बड़झरिया नाला, शंकरपाठ नाला, करपन नाला पार्ट 1 बंजारी नाला में 14668 हेक्टयर में 8508 स्ट्रक्चरों का निर्माण कार्य कराया गया है जिसमें 38000 CUM वर्षा जल का संचयन हुआ तथा वर्ष 2021-22 में 4 नाला क्रमशः डुमरचुंवा नाला, करपन नाला पार्ट 2 मनाई नाला, बगवानी नाला में 8971 हेक्टे में 18900 स्ट्रक्चरों का निर्माण कार्य कराया गया है जिसमें 46000 CUM वर्षा जल का संचयन हुआ। तथा वर्ष 2022-23 में 13 नाला क्रमशः अठारह नाला, डोबघाट नाला, बिलाईगुड़ा नाला, साजापानी नाला, द्वारी नाला, बड़दरहा नाला, कोकटानारा नाला, लल्लूमूडा नाला, बाघमुड़ा नाला, परसा नाला, साम्हरचुंवा नाला, डोंगीपानी नाला, चन्द्राहसिनी नाला में 9442 हेक्टे. में 34207 स्ट्रक्चरों का निर्माण कार्य किया जा रहा है।