June 22, 2025

बरसाती पानी को सहेजने 170 तालाबों का हुआ जीर्णोद्धार …जल संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम…

IMG-20230619-WA0427.jpg
Share

सामना:- रायगढ़:- जिले में जल संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कार्य किया जा रहा है, बारिश के करोड़ों लीटर पानी को सहेजने जिले में 170 तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया है। जिसमें से 105 तालाब अमृत सरोवर, 55 तालाब सीएसआर और 10 तालाबों का डीएमएफ  व दूसरे मदों से जीर्णोद्धार किया गया है। जिससे हर साल बारिश का करोड़ों लीटर पानी सहेजा जा सकेगा।
      कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के नेतृत्व में जल संरक्षण की दिशा में बारिश के पानी को सहेजने जिले के अलग-अलग तालाबों के साफ -सफाई और गहरीकरण का काम भी किया जा रहा है। अमृत सरोवर की खुदाई मनरेगा से की गई, वहीं जिले के विभिन्न उद्योगों को सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत अलग-अलग तालाबों को संवारने का जिम्मा दिया गया। डीएमएफ  से भी राशि जारी की गई है। तालाबों में में जमी गाद और कचरे को साफ किया गया है। जिससे तालाब की गहराई और क्षेत्रफल बढ़ा है। गहराई में भी 3 से 6 फीट की वृद्धि हुई है। जिससे एक तालाब में ही बारिश का लगभग 1 करोड़ लीटर तक ज्यादा पानी संचित हो सकेगा।
      
अमृत सरोवर के 105 तालाब:-
जिले में अमृत सरोवर के तहत भी तालाबों का गहरीकरण किया गया। जिले के 7 विकासखंडों में मनरेगा से अमृत सरोवर तैयार किए गया हैं। यहां तालाब का गहरीकरण और साफ -सफाई का काम किया गया है। जिससे जल संरक्षण के साथ रोजगार के अवसर भी तैयार हुए हैं। 20 करोड़ रुपए की लागत इसमें आई है। जिसमें से 14 करोड़ रुपए मजदूरी भुगतान किया गया है। अमृत सरोवर की खुदाई में मनरेगा से 7 लाख दिवस का काम सृजित हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर इन अमृत सरोवरों पर भी योगाभ्यास का कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
विकासखंडवार ये हैं आंकड़े:-
अमृत सरोवर, सीएसआर और डीएमएफ से जिले में कुल 170 तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया है। जिसमें अमृत सरोवर और सीएसआर के तहत धरमजयगढ़ में 21, घरघोडा में 29, तमनार में 17, खरसिया में 25, लैलूंगा में 24, पुसौर में 19 और रायगढ़ में 25 तालाबों के गहरीकरण और साफ -सफाई का काम किया गया है। इसके साथ ही जिले में अलग अलग 10 तालाबों के लिए डीएमएफ व अन्य मदो से भी राशि दी गई है।
साफ -सफाई के साथ बढ़ेगी सुंदरता:-
गहरीकरण और साफ -सफाई से तालाब और आस-पास की सुंदरता बढ़ेगी। विभिन्न स्थानों में पिचिंग का काम किया गया है। तालाब के मेढ़ की चौड़ाई भी बढ़ी है। यहां पौधरोपण भी किया जा रहा है। कई तालाबों में किनारों पर पेवर ब्लॉक्स भी लगाए जा रहे हैं। इन सब से तालाब की खूबसूरती भी बढ़ेगी।
भू-जल बढ़ेगा, रोजगार के मौके भी बनेंगे:-
तालाबों के जीर्णोद्धार से यहां करीब 1 करोड़ लीटर तक बारिश का पानी ज्यादा स्टोर होगा। जिससे आस-पास के लगभग 20 से 25 एकड़ में भू-जल स्तर बढ़ेगा। सिंचाई की सुविधा बेहतर होगी। मछली पालन जैसे आजीविका के काम किए जा सकेंगे। सब्जी उत्पादन को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
हजारों सालों से ग्रामीण जीवन का हिस्सा हैं तालाब:-
तालाबों का इतिहास काफी पुराना है। हजारों सालों से लोग गांवों में तालाब को अंजुली बनाकर बारिश की हर एक बूंद को सहेजने का काम करते आ रहे हैं। जिससे जरूरत के साथ जल संकट के समय उसका उपयोग कर सके। पहले छोटे-छोटे गांवों में दसियों तालाब हुआ करते थे। कई गांव और नगर तो सिर्फ तालाबों की संख्या और उसकी भव्यता से अंचल में अपनी विशेष पहचान रखते थे। राजा महराजा और शासक वर्ग समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व को निभाने तालाब खुदवाया करते थे। विभिन्न ग्रंथों, लेखों और यात्रा वृतांतों में इसका उल्लेख है। गांव में जीवन चक्र भी तालाब के इर्द-गिर्द घूमा करता था। सामाजिक संस्कारों से लेकर तैराकी और मछली पकडऩे जैसे कार्यों से मनोरंजन तक के लिए लोग तालाब पर आश्रित रहते थे।