महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ रही भाजपा…..अविश्वास प्रस्ताव के लिए भाजपा स्वतंत्र है:-महापौर

सामना:- रायगढ़:- रायगढ़ नगर निगम में अपने ही सरकार के खिलाफ कदम उठाए जाने का सीधा लाभ शहर हित की बात कहते हुए भाजपा लामबंद हो चुकी है और महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर उन्हें कुर्सी से उतराने लालायित है।जिसमें वे कदम बढ़ा चुके हैं। जिसके तहत भाजपा पार्षदों ने नगर निगम आयुक्त से चर्चा कर कानून के बारे में भी जानकारी ली है।महापौर के खिलाफ उनके पार्षद द्वारा लेटर बम फोड़ने तथा आरोप लगाते हुए त्याग पत्र देने से शहर व नगर निगम की राजनीति की आबोहवा बदल चुकी है। निगम से लेकर कांग्रेस पार्टी तथा राजनीतिक गलियारों में कुर्सी पलट होने की चर्चा जोरों पर है। इन सभी के बीच भाजपा शहर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का बिगुल फूंक चुकी है।लिहाजा शनिवार को आनन-फानन में भाजपा जिला अध्यक्ष उमेश अग्रवाल के नेतृत्व में बैठक कर इसकी सहमति सर्वसम्मति से बनाई गई।ऐसे में भाजपा पूरी एकजुटता के साथ ताकत दिखाते हुए सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव को लेकर नगर निगम को सूचना देने के लिए निगम दफ्तर पहुंचे जहां उन्होंने नगर निगमआयुक्त से विचार विमर्श कर अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कानूनी जानकारी एकत्रित की। इस तरह भाजपा पार्षद दल अविश्वास प्रस्ताव के लिए चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ रही है।इस अविश्वास प्रस्ताव पर भाजपा ने तो यहां तक कि कुछ कांग्रेसी पार्षदों के समर्थन देने की बात भी कही है।
क्या हैं अविश्वास प्रस्ताव के नियम:- नगर निगम में जिस दल के पार्षद बहुमत में होंगे, वे अपने बीच से महापौर का चुनाव करते हैं। महापौर को पद से हटाने के लिए बहुमत के साथ पार्षद ही अविश्वास प्रस्ताव ला सकेंगे। बहुमत के आधार पर अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें परिषद में यह साबित करना होगा कि महापौर के खिलाफ ज्यादा पार्षद हैं।रायगढ़ की बात करें तो यह 48 वार्ड हैं जिनमें से 26 वार्डों में कांग्रेस के पार्षद और 21 वार्डों में भाजपा के पार्षद है तो वहीं एक पार्षद के निधन से 1 वार्ड वर्तमान में रिक्त है।ऐसी परिस्थितियों में शहर सरकार के पास बहुमत है।अगर कुछ कांग्रेसी पार्षद बगावत कर इस शहर सरकार के खिलाफ जाकर भाजपा को समर्थन भी दें तब भी अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस कलेक्टर को सदन के कुल सदस्यों के एक तिहाई पार्षद दे सकते हैं। उसके बाद सभा बुलाने का समय तय किया जाएगा। बैठक में काम से कम आधे से ज्यादा यानी 24 या उससे अधिक पार्षदों की उपस्थिति जरूरी है। उपस्थित पार्षदों का दो तिहाई बहुमत जिस तरफ होगा, मतलब अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष या विपक्ष में उसकी जीत होगी। देखना यह जरूरी होगा कि इस अविश्वास प्रस्ताव में कुल संख्या में से आवश्यक कोरम पूरा करने कितने का आंकड़ा पार होगा।
वरिष्ठ भाजपा नेता सुभाष पांडेय:-महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए एक बैठक की गई है।हमारे कुछ पार्षद शहर से बाहर हैं इसके अलावा इसी माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन की तैयारी भी प्राथमिकता में है।जल्द ही पार्षदों के लौटते ही एक बार पुनः बैठक रखी जायेगी जिसमें बिदुवार शहर विकास के कई मुद्दों पर प्रस्ताव बनाकर कलेक्टर को सौंपा जाएगा।कलेक्टर से मिले दिशा निर्देशानुसार अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
महापौर जानकी काटजू:- भाजपा अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है तो वे स्वतंत्र हैं लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के लिए उनके पास बहुमत नहीं है।हमारे पार्षदों की संख्या बहुमत में है और जो भी मनमुटाव हुआ है वह सभी दलों में होता है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हमारे पार्षद अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत करेंगे। भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है इसलिए वे इस मुद्दे को उछालने पर तुले हैं।
मान मनौव्वल पर नहीं है हलचल:– एक तरफ जहां आगामी माह में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज जाएगा । जिसमें सत्ता बरकरार रखने के लिए मौजूदा विधायक एड़ी चोटी का दमखम लगा रहे हैं तो दूसरी और भाजपा भी व्यापक स्तर पर रणनीति बनाते हुए नरेंद्र मोदी का आगामी दिनों आम सभा आयोजन कर रही हैं। इन सभी के बीच निगम में नाराजगी को लेकर पार्टी स्तर पर वर्तमान परिस्थितियों तक मान मनोव्वल में कोई हलचल होती दिखाई नहीं दे रही है।
