June 21, 2025

शुरू हुआ पितृ पक्ष:- कैसे करें श्राद्ध…जल और तिल ही क्यों अर्पित किया जाता है…. पितृ पक्ष में भूलकर भी ना खरीदें ये चीजें…

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सामना:- रायगढ़:- आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है। आज पूरी श्रद्धा के साथ पूर्णिमा श्राद्ध किया जा रहा है। मान्यता है कि आज के दिन ही पितर यमलोक से धरती लोक पर पधारते है. अब पितर अमावस्या तिथि तक धरती पर रहेंगे। इसलिए पितृ पक्ष में पितर संबंधित कार्य करने से व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जाता है और उनके जीवन में कभी किसी भी प्रकार की समस्या नहीं बनी रहती हैइसके साथ ही पितृ दोष से निजात पाते है. इस पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने संतान को जीवनभर खुशहाल रहने का आर्शीवाद देते हैं. पितृ दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध, तर्पण करना शुभ होता है. इसीलिए हमें पितृ पक्ष में विधि-विधान के साथ पिंडदान करना चाहिए. शास्त्रों में भी पिंडदान और तर्पण का अपना एक अलग महत्व बताया गया है. भादो माह की पूर्णिमा से शुरू होने वाले पितृ पक्ष का हिंदू धर्म में बेहद खास महत्व माना जाता है। इसकी शुरुआत के साथ ही सारे शुभ कार्यों को करने की मनाही हो जाती है।इस दिनों बस पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म जैसे कामों को किया जाता है।पितृ पक्ष के दौरान जहां शुभ कामों को करने की मनाही होती है, वहीं इन दिनों में कुछ चीजों की खरीदारी को वर्जित माना गया है। आइए जानते हैं वो कौन सी चीजें हैं जिन्हें पितर पक्ष में नहीं खरीदना चाहिए?

पितृ पक्ष में क्या न खरीदें?

लोहे का सामान पितृ पक्ष के दिनों में लोहे से बने किसी भी वस्तु को खरीदने की मनाही होती है। कहते हैं इसे घर लाने से नकारात्मक ऊर्जा आती है। ऐसे में भूलकर भी पितृ पक्ष में लोहे का सामान घर न लाएं।

घर-जमीन पितृ पक्ष के दौरान भूलकर भी घर या जमीन नहीं खरीदना चाहिए। कहते हैं इन दिनों में खरीदे गए जमीन या घर में भूत-प्रेत का वास होने लगता है और साथ ही पितर भी नाराज हो जाते हैं। ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान भूलकर भी जमीन और घर नहीं खरीदना चाहिए।

नए कपड़े पितृ पक्ष के दौरान नए कपड़ों को खरीदने की मनाही होती है। कहा जाता है कि इन दिनों में नए वस्त्र खरीदने से पितृ नाराज होते हैं और आपके जीवन पर अशुभ प्रभाव पड़ता है।

मांस-मंदिरा का सेवन पितृ पक्ष के दौरान मांस मदिरा का सेवन करने से भी पितृ नाराज होते हैं। इसलिए इन दिनों भूलकर भी इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका सीधा असर वंश पर पड़ता है और घर में कलह बढ़ने लगती है।

पितृ पक्ष में क्यों नहीं करनी चाहिए खरीदारी? शास्त्रों के मुताबिक, पितृ पक्ष में मांगलिक कार्यों या नई चीजों को खरीदना शुभ नहीं माना जाता है। क्योंकि ऐसा करना पितरों का अपमान माना जाता है। यही वजह हो कि इस दौरान नई चीजों को खरीदने की मनाही होती है।

श्राद्ध में ‘जल और तिल ही क्यों अर्पित किया जाता है? पितृ पक्ष में जल और तिल (देवान्न) द्वारा तर्पण किया जाता है, जो जन्म से लय (मोक्ष) तक साथ दे, वही जल है. तिलों को देवान्न कहा गया है. इससे ही पितरों को तृप्ति होती है. पितृ पक्ष के दौरान काले तिल और जल का विशेष महत्व होता है. इसका उपयोग श्राद्ध कर्म आदि में भी किया जाता है. ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान घर में काले तिल लाना बेहद ही शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान काले तिल घर लाने से पितरों की नाराजगी दूर होती है.

तीन पीढ़ियों तक का ही श्राद्ध श्राद्ध केवल तीन पीढ़ियों तक का ही होता है. धर्मशास्त्रों के मुताबिक सूर्य के कन्या राशि में आने पर परलोक से पितृ अपने स्वजनों के पास आ जाते हैं. देवतुल्य स्थिति में तीन पीढ़ी के पूर्वज गिने जाते हैं. पिता को वसु के समान, रुद्र दादा के समान और परदादा आदित्य के समान माने गए हैं. इसके पीछे एक कारण यह भी है कि मनुष्य की स्मरण शक्ति केवल तीन पीढ़ियों तक ही सीमित रहती है।

कैसे करें श्राद्ध पहले यम के प्रतीक कौआ, कुत्ते और गाय का अंश निकालें (इसमें भोजन की समस्त सामग्री में से कुछ अंश डालें) फिर किसी पात्र में दूध, जल, तिल और पुष्प लें. कुश और काले तिलों के साथ तीन बार तर्पण करें. ऊं पितृदेवताभ्यो नमः पढ़ते रहें. वस्त्रादि जो भी आप चाहें पितरों के निमित निकाल कर दान करें. सूक्ष्म विधि दूरदराज में रहने वाले, सामग्री उपलब्ध नहीं होने, तर्पण की व्यवस्था नहीं हो पाने पर एक सरल उपाय के माध्यम से पितरों को तृप्त किया जा सकता है. दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके खड़े हो जाइए. अपने दाएं हाथ के अंगूठे को पृथ्वी की ओर करिए. 11 बार पढ़ें. ऊं तस्मै स्वधा नमः । यह पितरों के प्रति आपकी भावांजलि होगी।श्राद्ध के दिन पितृ पक्ष का प्रारंभ 29 सितंबर से हो रहा है. अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति है श्राद्ध इसको महालय भी कहा जाता है. पितृ पक्ष का आरम्भ भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से ही हो जाता है. इस बार पितृ पक्ष या महालय 29 सितंबर से शुरू होकर 14 अक्तूबर तक रहेंगे।