छत्तीसगढ़ का खजुराहो ख़तरे में….मंदिर के गर्भगृह में पहुंचा पानी….नींव धंसी..फिर भी सुरक्षा को लेकर कोई कदम नहीं….

सामना न्यूज़:–छत्तीसगढ़ के कवर्धा स्थित भोरमदेव मंदिर के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। मंदिर की दीवारों से बारिश का पानी रिस रहा है। यह रिसाव इतना ज्यादा है कि मंदिर के गर्भगृह तक पहुंच गया है और पुजारियों को बाल्टी से पानी निकालना पड़ता है। इस समय लगातार हो रही बारिश के चलते पानी मंदिर के अंदर पहुंच रहा है। यह पानी पत्थरों के गैप से रिस रहा है। मंदिर की नींव कमजोर होने से एक ओर की दीवार भी धंस गई है। इसकी जानकारी जिला प्रशासन और पुरातत्व विभाग को दी गई है, फिर भी मंदिर की सुरक्षा को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है।
मंदिर के पुजारियों का कहना है कि करीब सात साल से भी ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन इसके रख रखाव को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया। साफ-सफाई नहीं होने से मंदिर में कई स्थानों पर काई तक जम जा रही है।
मंदिर परिसर में लगे पेड़ पहुंचा रहे नुकसान:–मंदिर परिसर में लगे पेड़ पानी को अवशोषित कर नींव को कमजोर कर रहे रहे है। इसके बाद मंदिर से लगे हुए एक पेड़ को कटवाया भी गया था लेकिन उसके बाद कुछ काम आगे नहीं हुआ।
भोरमदेव मंदिर की जानकारी:–
यह मंदिर करीब एक हजार साल पुराना है। भोरमदेव मंदिर की बनावट खजुराहो और ओडिशा के कोणार्क मंदिर जैसी है। यहां मुख्य मंदिर की बाहरी दीवारों पर मिथुन मूर्तियां बनी हुई हैं, इसलिए इसे छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है। मंदिर को 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजा गोपाल देव ने बनवाया था। ऐसा कहा जाता है कि गोड राजाओं के देवता भोरमदेव थे और वे भगवान शिव के उपासक थे। शिवजी का ही एक नाम भोरमदेव है। इसके कारण मंदिर का नाम भोरमदेव पड़ा।
