सहारा ने कर दिया-बे-सहारा..हक़ की लड़ाई में उतरे निवेशक…कहा-बैंक मैनेजर चोर है..हमे हमारा हक चाहिए….

सामना न्यूज़:-रायगढ़:-देश में ऐसे लाखों निवेशक हैं जिन्होंने सहारा इंडिया परिवार की चिट फंड कंपनी की बचत योजनाओं में पैसा निवेश किया,लेकिन अब मैच्योरिटी अवधि पूरी होने पर अपने भुगतान के लिए दर-दर भटक रहे हैं।कंपनी लोगों से पैसा अवश्य ले रही है, लेकिन मैच्योरिटी होने के बावजूद निवेशकों को उनका पैसा नहीं लौटाया जा रहा है रायगढ़ शहर के हज़ार से भी ज्यादा निवेशक इस चिट फंड कम्पनी में पैसे जमा कर बुरी तरह फंस चुके हैं क्योंकि समयाविधि पूरी होने के बाद भी उन्हें अपनी जमा पूंजी पाने दर दर भटकना पड़ रहा है।उनके इंतज़ार का सब्र जब टूट पड़ा तो इसके विरोध में आज आक्रोशित लोगों ने कंपनी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलते हुए धरना प्रदर्शन का आगाज़ कर दिया। इतवारी बाज़ार स्थित सहारा बैंक के सामने लोग इक्कठे होकर कम्पनी के मैनेजर विजय श्रीवास के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाजी करते नज़र आए।पीड़ित व्यक्तियों का कहना है कि जब तक उन्हें उनकी जमा पूंजी नहीं मिल जाती तब तक वे इस आंदोलन को जारी रखेंगे।
सहारा बैंक मैनेजर पर लगाए आरोप:-पीड़ितों ने इन सब के लिए बैंक प्रबंधन अमृतलाल श्रीवास को भ्रष्ट कहते हुए ज़िम्मेदार ठहराया उनका आरोप है कि प्रबंधन द्वारा विभिन्न योजनाओं का लालच देकर उपभोक्ताओं से पैसे जमा कराए गए और आज बैंक की लचर कार्यशैली और लापरवाही का खामियाज़ा सभी उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है
एक करोड़ के लगभग रुपये फंसे:-इस प्रदर्शन में मौजूद लोगों ने जानकारी देते हुए बताया कि इस कम्पनी में लोगों के तक़रीबन एक करोड़ रुपये फंसे हुए हैं।जिस कम्पनी का सहारा कर उन्होंने तिनका तिनका राशि जमा की आज वही कम्पनी उन्हें बेसहारा कर रही है। अपनी ही जमा पूंजी वापस पाने उन्हें धरने पर बैठने मजबूर होना पड़ रहा है।यदि जल्द से जल्द उन्हें उनका पैसा नहीं मिला तो वे आगे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
छः महीने पहले मैच्योरिटी अवधि हो चुकी है पूरी:-पूर्व महिला कांग्रेस अध्यक्ष बरखा सिंह ने बताया कि इस कंपनी में उनके कुल 15 लाख रुपये फंसे हुए हैं जिसमें से 5 लाख रुपए की समयाविधि छः माह पूर्व ही पूर्ण हो चुकी है लेकिन बावजूद इसके न ही उन्हें उनके रुपये मिल रहे हैं और न पूछे जाने पर संतोषजनक जवाब।
कृष्णा वाटिका के उमेश मथनी के 44 लाख रुपए फंसे:- प्राप्त जानकारियों में इन सब मे सबसे अधिक राशि कृष्ण वाटिका निवासी उमेश मथानी की है जिन्होंने 44 लाख रुपए इस कंपनी में निवेश किए हैं इसी तरह अनिल अग्रवाल,चीकू अग्रवाल चंद्रमणि बरेठ (21लाख) सहित कई लोगों की जमा पूंजी ख़तरे में दिखाई दे रही है।
बहरहाल सहारा खाते में फंसे निवेशक अपने हक की लड़ाई लड़ने मैदान में उतर चुके हैं अब देखना यह होगा कि इस हक की लड़ाई में वे कब तक जीत हासिल कर पाएंगे?
