भाजपा के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने किया थाना कोतवाली का घेराव…उमेश अग्रवाल के ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर निरस्त व थाना प्रभारी के निलंबन की मांग..

सामना न्यूज़:-रायगढ़:-पूर्वनियोजित कार्यक्रम के तहत आज बड़ी संख्या में भाजपा के पदाधिकारी व कार्यकर्ता कोतवाली थाने का घेराव करने पहुंचे जहां उन्होंने भूपेश सरकार के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाजी की।दरअसल भाजपा की ही एक महिला कार्यकर्ता ने रायगढ़ जिलाध्यक्ष पर छेड़खानी का आरोप लगाते हुए उनके विरुद्ध कोतवाली थाने में शिकायत की थी जिस पर जांच के उपरांत कल बुधवार को उमेश अग्रवाल पर IPC की धारा 354 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।जिसे लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि पुलिस ने हमारे जिला अध्यक्ष के खिलाफ राजनीतिक दबाव में एकतरफा कार्रवाई की गई है जो कि न्याय संगत नहीं है।इसलिए दर्ज एफआईआर को निरस्त कर थाना प्रभारी को निलंबित किया जाए।
क्या निरस्त होगी एफआईआर:-भाजपा नेता ओ.पी.चौधरी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं पदाधिकारियों के एक समूह ने एडिशनल एसपी से मुलाक़ात कर ज़िला भाजपा अध्यक्ष के विरुद्ध दर्ज हुई एफआईआर को निरस्त करने व थाना प्रभारी मनीष नागर के निलंबन की मांग कर ज्ञापन सौंपा।जिसमें कहा गया है कि यह एफआईआर बिना जांच किए राजनैतिक दबाव पूर्वक की गई है। लिखित आवेदन में यह भी कहा गया है कि यदि उनकी दोनों ही मांगे पूरी नहीं कि गई तो वे आगे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
क्या कहते हैं एडिशनल एसपी लखन पटले:- भाजपा के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं द्वारा लिखित आवेदन दिया गया है उनकी जो भी मांगें है उसकी वैधानिक तथ्यों के आधार पर जांच कराई जाएगी।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला ने इसकी पुरजोर निंदा करते हुए कहा कि बीजेपी वाले अपनी ही पार्टी की आंतरिक खींचतान और लड़ाई में कांग्रेस सरकार को क्यों बीच मे ला रहे हैं ये इनके नेतृत्व की कमी और अल्प बुद्धि का परिचायक है।इस प्रकार हमारी पार्टी व सरकार के विरुद्ध नारेबाजी अपने आंतरिक मामलों में ना करें यदि पुनः ऐसा किया गया तो भविष्य में क्षमा नहीं किया जाएगा।
बहरहाल एफआईआर दर्ज होने का तात्पर्य दोषी करार होना नहीं है क्योंकि यह जांच का विषय है जिसे न्यायालय में ही साबित किया जा सकता है और दूसरी बात कोई दर्ज एफआईआर झूठी है या सही इसका फैसला भी न्यायिक जांच के बाद ही स्पष्ट होगा ऐसे में इस मामले को इतना बवंडर बनाना कतई सही नहीं है।रही बात थाना प्रभारी के निलंबन की तो इस मामले में थाना प्रभारी ने अपना दायित्व निभाते हुए वैधानिक कार्रवाई की है फिर उनके निलंबन की मांग क्या जायज़ है? फिर भी यदि यह न्यायसंगत नहीं लगता है तो न्यायालय में पुलिस को चुनौती दी जा सकती है।
