हसदेव अरण्य व जीव-जंतुओं के संरक्षण के लिए सर्परक्षक समिति ने सौंपा ज्ञापन…कहा-वन्य जीव व आदिवासी हो जाएंगे…. बेघर…

सामना न्यूज़:-रायगढ़:- बीते कुछ दिनों से प्रदेश के हसदेव अरण्य को लेकर देशभर में चर्चा बनी हुई है मुद्दा पर्यावरण संपदाओं से अच्छादित इस वन में वनों की कटाई और खनन से जुड़ा है दरअसल हसदेव में बीस से अधिक जगहों पर कोयला निकालने के लिए खदान बनाने का प्रस्ताव है।कई सामाजिक व प्रकृति प्रेमी संस्थाएं इन दिनों अंधाधुंध हो रही इन वनों की कटाई को लेकर विरोध जता रहे हैं।वन्य जीव प्रेमी सर्परक्षक समिति रायगढ़ ने भी आज बुधवार वन्य जीवों के संरक्षण हेतु महामहिम राष्ट्रपति के नाम संयुक्त कलेक्टर राजीव कुमार पांडेय को ज्ञापन सौंपा। जिसमें उन्होंने कहा है कि:- एक तरफ़ जहां भारत सरकार वन्य जीवों के सरंक्षण के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च करती है तो वहीं दूसरी ओर प्रगति व विकास के नाम पर इन जीव-जंतुओं, पेड़ों व पर्यावरण के विनाश करने आमादा है।हसदेव अरण्य में लगभग 350 से अधिक वन प्रजातियों व 20,000 आदिवासियों का घर है। साथ ही कोयला परियोजना के तहत लगभग दो से तीन लाख पेड़ों की कटाई की जाएगी जिससे कई वन्य जीव व आदिवासी अपने रहवास से बेघर हो जाएंगे साथ ही पर्यावरण पर इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा इसलिए इस गंभीर विषय पर संज्ञान लेते हुए पेड़ों की कटाई पर तत्काल रोक लगाई जाए।
क्या है मामला:-हसदेव अरण्य भारत के सबसे घने जंगलों में से एक है छत्तीसगढ़ में स्थित इस जंगल में पेड़ काटने के लिए राज्य सरकार ने पिछले महीने ही अंतिम अनुमति जारी की जिसके बाद कटाई का काम शुरू हो गया लेकिन आदिवासियों के प्रतिरोध के कारण पिछले हफ्ते यहां पेड़ काटने का काम रोक दिया गया लेकिन ग्रामीणों को डर है कि यह कभी भी दोबारा शुरू हो सकता है।बहरहाल इन वनों का अस्तित्व कब तक सुरक्षित रहेगा इसका फैसला अब हाईकोर्ट करेगा।


