छत्तीसगढ़ में “मंकीपॉक्स” का ख़तरा टला….केसेज़ मिलने से मचा था हड़कंप…

सामना न्यूज़:-रायपुर:- छत्तीसगढ़ में मंकीपाक्स के केसेस मिलने पर दहशत का माहौल बन गया था लेकिन छत्तीसगढ़ में जो तीन केसेस मिलने की जो खबरे निकली वो अफवाह साबित हुई। छत्तीसगढ़ में सिर्फ राजधानी रायपुर में ही एक केस मिला था जिसमें मंकीपाक्स की संभावना व्यक्त की गई थी। उसका टेस्ट कर पुणे की लैब में भेजा गया था। मंकीपाक्स के लक्षणों की जानकारी देते हुए नोडल अधिकारी डॉ सुभाष मिश्रा ने बताया की जो मेकाहारा में जिस बच्चें का केस आया था उस बच्चें की स्किन रोंग विशेषज्ञ ने जब जांच की तो उसे त्वचा रोग सर्टिफाइड किया गया। जिसके बाद उसकी दवा देकर उसका उपचार किया गया जिससे उसे फायदा हुआ है। इससे कन्फर्म हो गया है की उसे मंकीपाक्स की बीमारी नहीं थी। छत्तीसगढ़ में अभी मंकीपाक्स के एक भी केसेस नहीं है।
डॉ सुभाष मिश्रा ने मंकीपाक्स का लक्षण के बारे में उन्होंने बताया कि – बार-बार तेज बुखार आना। पीठ और मांसपेशियों में दर्द। त्वचा पर दानें और चकते पड़ना। खुजली की समस्या होना। शरीर में सामान्य रूप से सुस्ती आना। मंकीपाक्स वायरस की शुरुआत चेहरे से होती है। संक्रमण आमतौर पर 14 से 21 दिन तक रहता है। चेहरे से लेकर बाजुओं, पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों पर रैशेस होना। गला खराब होना और बार-बार खांसी आना।ध्यान दें! कैसे फैलता है संक्रमण- मंकीपाक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। ऐसे में लोगों को शारीरिक संपर्क से बचाव रखना चाहिए। संक्रमित व्यक्ति या किसी व्यक्ति में पंकीपाक्स के लक्षण हैं, तो उसे तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। संक्रमित व्यक्ति को इलाज पूरा होने तक खुद को आइसोलेट रखना चाहिए। मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यह संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ, या फर को छूने से भी हो सकता है। इसमें फुंसिया, छाले और मवाद भी निकलता है।
