June 25, 2025

हौसले की दास्तां–“अर्जुन झा”..90 प्रतिशत नहीं है आँखों की रौशनी…लेकिन दिव्यांगता को मात देकर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुए नियुक्त…

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सामना न्यूज़:-रायगढ़:-कहते हैं कि ईश्वर जब किसी को शारीरिक रूप से कमजोर बनाता है तो उससे दोगुनी ताकत देकर मानसिक शक्ति भी प्रदान करता है जिससे वह अपनी उन शारिरिक कमियों को भी मात देकर अपने हौसले की उड़ान भरते हैं।इसका ताज़ा उदाहरण है वार्ड क्र.38 के निवासी अर्जुन झा जिनकी आंखों की रौशनी मात्र10 प्रतिशत है यानी 90% उन्हें दिखता ही नहीं।बावजूद इसके उन्होंने अपनी मेहनत व लगन से अपने हौसले की उड़ान भरी और अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाकर अथक मेहनत की जिसका परिणाम यह है कि वह अब सारंगढ़ में बतौर हिस्ट्री के असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए हैं।कोविड काल में अपने पिता को खो चुके अर्जुन के परिवार में दो बहनें व माँ हैं जिन्होंने हर कदम पर उनका साथ देकर उन्हें सफलता की सीढ़ियों तक पहुंचाया।अर्जुन यहाँ रुकने वाले  नहीं हैं इसके बाद वे पीएससी की परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं।

कठिनाई बहुत थी लेकिन हार नहीं मानी:-अर्जुन बताते हैं कि उन्हें जन्म से ही आँखों की रौशनी चली गई।जिसकी वजह से उन्हें बार बार स्कूल से निकाल दिया जाताफिर भी वे डटे रहे।पढ़ने का जज़्बा लिए कक्षा 1 से लेकर 6 तक उन्हें पांच स्कूल बदलने पड़े।जिसके बाद कक्षा 7वीं से लेकर 10 वीं तक की पढ़ाई उन्होंने मनेन्द्रगढ़ के स्पेशल स्कूल से की। 11व 12 वीं की पढ़ाई नटवर शासकीय स्कूल से कर सेठ किरोड़ीमल कॉलेज से स्नातक की शिक्षा हासिल की। वे ऑडियो क्लिप के ज़रिए सुनते समझते और अपनी पढ़ाई पूरी करते।

दो छोटी बहनों ने किया सपोर्ट:-अर्जुन बताते हैं कि उनकी दो छोटी बहनें हैं जिनका विवाह हो चुका है।वे दोनों ही बचपन से उन्हें पढ़ाई में सपोर्ट करती थीं।जिनके सपोर्ट से ही वे शुरुवाती कठिनाईयों को पार कर पाए।

कानूनी लड़ाई लड़ी तब मिली सफलता:- अर्जुन ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए परीक्षा उत्तीण की गाइडलाइन के अनुसार कुल 27 सीटों पर 2 प्रतिशत आरक्षण उनकी दिव्यांगता के लिए आरक्षित था लेकिन किन्ही कारणों से केवल 12 ही पदों पर नियुक्तयां हुईं जिनमें अर्जुन का नाम शामिल नहीं था लेकिन उन्होंने अपने हक की लड़ाई लड़ी और कानूनी प्रक्रिया के तहत जीत हासिल कर आखिरकार अपना अधिकार प्राप्त किया। आज वे अपनी इस सफलता का श्रेय अपने परिजनों व अपने मार्गदर्शकों को देते हैं।