शराबबंदी के मुद्दे को लेकर गरमाई रायगढ़ की सियासत… भाजपा-कांग्रेस आमने सामने…

छत्तीसगढ़ की सियासत में इन दिनों शराब का मुद्दा गरमाया हुआ है ।कल शुक्रवार विधानसभा सत्र के आखिरी दिन शराब का मुद्दा छाया रहा। भाजपा की ओर से शराबबंदी का प्रस्ताव रखा गया जो कि विफल रहा।भाजपा ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि कांग्रेस ने सरकार बनने से पहले हाथ में गंगाजल लेकर पूर्ण शराबबंदी की कसम खाई थी लेकिन वे अपने वादे को भूल चुकी है। जिसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह कहकर ख़ारिज कर दिया कि गंगाजल शराब के लिए नहीं बल्कि 2500 रुपए में धान खरीदी ,कर्ज माफ़ी और बिजली बिल हाफ को लेकर खाई थी।
शराबबंदी के मुद्दे को लेकर रायगढ़ में सियासी हलचलें जारी हैं। पक्ष और विपक्ष दोनों ही आमने सामने हैं आइए जानते हैं क्या कहना है दोंनो ही दलों के नेताओं का…
वरिष्ठ भाजपा नेता आलोक सिंह ने कहा….कि कांग्रेस सरकार शराबबंदी का वादा कर महिलाओं से वोट हासिल कर सत्ता में आई थी लेकिन कांग्रेस आज अपना वादा भूल चुकी है।आलोक सिंह ने कहा कि जब सदन में महिला विधायक सवाल पूछती है तो मंत्री उसका जवाब देना तक जरूरी नहीं समझते। शराबबन्दी तो दूर कांग्रेस सरकार ने लॉकडाउन में सारे व्यापार बन्द कर ऑनलाइन शराब उपलब्ध करवाई क्योंकि यह उनकी वैध/अवैध कमाई का बड़ा ज़रिया बन चुका है इसलिए कॉंग्रेस सरकार चाहती ही नहीं कि छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी हो।

कांग्रेस प्रवक्ता अनिल शुक्ला का कहना है कि.. कांग्रेस सरकार शराबबंदी को लेकर चरणबध्द तरीके से काम करेंगी।अगर अचानक से शराबबंदी की गई तो युवा नशा करने का अन्य विकल्प चुनेंगे जो कि घातक सिध्द होगा।उनकी सरकार द्वारा समिति बनाई गई है जो लगातार काम कर रही है साथ ही उन्होंने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा के शासनकाल में शराबबंदी को लेकर कोई प्रयास नहीं किए गए।

छत्तीसगढ़ सरकार को शराब से 5000 करोड़ की आय होती है।आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ की 35 प्रतिशत आबादी शराब पीती है। बहरहाल शराबबंदी का मामला सदन में गूंज कर ही रह गया है। फिलहाल तो शराबबंदी का मसला ठंडे बस्ते में चला गया है अब आने वाले समय में देखना ये होगा कि क्या छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी कभी हो पाएगी या नहीं??
