Raigarh मेयर बनने का सपना देख रहे राजनीति के मुंगेरीलाल


सामना -रायगढ़ – मेयर बनने की रेस में कुछ संभावित,तो कई ऐसे भी दावेदारों के चेहरे सामने आ रहे हैं,जिनकी ज़मीनी हकीकत यह है कि वह राजनीति के मुंगेरीलाल हैं,जिनके हसीन सपनों में दमदारी ही नहीं है वह मुंगेरीलाल जो वार्ड पार्षद का चुनाव भी जीतने में सक्षम नहीं हैं

छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर आरक्षण तय होने के बाद से ही बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही दलों से मेयर पद के लिए एक होड़ सी लगी है,रोज़ाना कई दावेदार निकलकर सामने आने लगे हैं।
रायगढ़ नगर निगम की सीट इस बार अनुसूचित जाति(मुक्त) के लिए आरक्षित की गई है,ऐसे में दावा ठोकने वाले प्रत्याशियों की संख्या भी बढ़ चुकी है, जिन्होंने कुर्सी हासिल करने का सपना भी देखना शुरू कर दिया है।
इन दावेदारों में कुछ नाम ऐसे हैं जो संभावितों की लिस्ट में शामिल हैं,जिनके पास राजनीतिक समझ और जनमत है, लेकिन इसके विपरीत कई ऐसे भी दावेदार बन बैठे हैं,जो हवाबाजी कर मुफ्त की लोकप्रियता हासिल करने के लिए खुद को प्रबल दावेदार बता रहे हैं।
सेवा नहीं मेवा खाने के लिए बनना है महापौर
इन स्वघोषित नेताओं में से कुछ ऐसे हैं,जिन्हें वास्तव में चुनाव लड़ना ही नहीं है,इनकी मंशा समय आने पर कंबल ओढ़कर मलाई खाने की है।ऐसे दावेदार मुफ्त में सुर्खियां बटोरकर ही खुश रहते हैं।तो वहीं दूसरी ओर ऐसे भी दावेदार हैं जिन्हें लगता है कि सिर्फ जुमलों और खोखले वादों के सहारे वह जनता का दिल जीत लेंगे, इनका मकसद सेवा करना नहीं बल्कि मेवा खाना है।
वार्ड पार्षद का चुनाव जीतना भी मुश्किल
इन हवाबाज दावेदारों को यह पता है कि महापौर बनने के लिए पार्षद चुनाव जीतकर खुद की योग्यता (जनमत)साबित करने पैमाना हट चुका है, इसलिए यह खुद को प्रबल दावेदार बताने में बिल्कुल भी संकोच नहीं कर रहे, ऐसे दावेदारों को खुद के वार्ड से ही पार्षद का चुनाव लड़ने पड़े तो शायद जमानत भी जब्त हो जाएगी…बावजूद इसके ये चुनाव लड़ने के बेहद इच्छुक हैं वो भी महापौर का…
मुफ्त में प्रचार करना ही मकसद
यह दावेदार अपनी झूठी उम्मीदवारी से जनता को भ्रमित कर योग्य उम्मीदवारों को कमजोर करने के लिए चुनावी मैदान में कूदते हैं।इनका मकसद जनता की सेवा नहीं, बल्कि मुफ्त में नेता कहलाकर अपना प्रचार करवाना है,ऐसे दावेदार अगर गलती से जीत भी गए तो शहर विकास और जनता के हित में नहीं बल्कि से अपनी जेबें भरने करने का ही कार्य करेंगे।
बहरहाल आम जनता को भी ऐसे भ्रम फैलाने वाले दावेदारों की पहचान कर दूरी बना लेनी चाहिए जो जनता के लिए नहीं,बल्कि अपने हसीन सपनों को पूरा करने महापौर बनना चाहते हैं।
संपादकीय -सिमरन पन्गरे
