August 29, 2025

उमेश पटेल के लगातार प्रयासों से खरसिया ओवरब्रिज का रास्ता साफ, वित्त विभाग ने दी हरी झंडी

IMG-20250824-WA0001.jpg
Share


सामना- खरसिया- खरसिया रेलवे यार्ड के पास वर्षों से लंबित रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) का निर्माण अब शुरू होने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा है। छत्तीसगढ़ शासन के वित्त विभाग ने आखिरकार इस परियोजना को सहमति दे दी है। करीब 6494.87 लाख रुपये की लागत वाली इस परियोजना को लेकर वित्त विभाग ने आरओबी निर्माण कार्य शुरू करने की सहमति दे दी।

इस संबंध में छत्तीसगढ़ शासन, लोक निर्माण विभाग ने प्रमुख अभियंता (लोक निर्माण विभाग), नवा रायपुर को पत्र जारी कर सूचित किया है कि जिला रायगढ़ के अंतर्गत हावड़ा–मुंबई रेलमार्ग के किमी 620/13–15 पर लेवल क्रॉसिंग 313, खरसिया यार्ड के पास प्रस्तावित रेलवे ओवरब्रिज (स्वीकृत राशि रु. 6494.87 लाख) को प्रारंभ करने की सहमति वित्त विभाग द्वारा दी गई है।

उक्त पत्र अवर सचिव मनराखन भूआर्य द्वारा जारी किया गया है। इसके साथ ही वर्षों से ठप पड़ी परियोजना को गति मिलने की उम्मीद है। यह मंजूरी केवल एक परियोजना का आरंभ नहीं, बल्कि शहीद नंदकुमार पटेल के उस अधूरे सपने की पूर्ति है जिसे उनके बेटे और खरसिया विधायक उमेश पटेल और खरसिया विधानसभा के कांग्रेसियों ने हर मोर्चे पर लड़कर साकार किया है।

संघर्ष से लेकर स्वीकृति तक का सफर
खरसिया में रेलवे फाटक की समस्या सालों से आमजन के जीवन में बड़ी बाधा बनी हुई थी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जनवरी 2021 में इस ओवरब्रिज की घोषणा की थी और उसी वर्ष मार्च में प्रपोज़ल इंजीनियर-इन-चीफ को भेजा गया। सर्वे के बाद 2023 में टेंडर प्रक्रिया पूरी हुई, भू-अर्जन भी सम्पन्न हुआ और सितंबर 2022 में भूमिपूजन किया गया। लेकिन दिसंबर 2023 में सत्ता परिवर्तन के बाद  वित्त विभाग से अनुमति ही रोक दी। इसके कारण यह परियोजना ठप पड़ गई। स्पष्ट था कि सरकार जानबूझकर आरओबी का निर्माण नहीं होने देना चाहती थी।

आरओबी निर्माण के लिए हर मोर्चे पर डटे उमेश
खरसिया में आरओबी निर्माण की लड़ाई में जनता की आवाज को मजबूत और मुखर रूप देने वाले नायक के रूप में विधायक उमेश पटेल लगातार अग्रिम पंक्ति में डटे रहे। उन्होंने इस परियोजना पर लगी रोक के खिलाफ न केवल आवाज उठाई, बल्कि हर मंच से इसे खरसिया की सबसे बड़ी जरूरत के रूप में सामने रखा। विधानसभा में उन्होंने बार-बार सवाल खड़े किए, जिसके जवाब में उप मुख्यमंत्री अरुण साव को सदन में यह स्वीकार करना पड़ा कि वित्त विभाग के निर्देश पर परियोजना लंबित है। यह स्वीकारोक्ति अपने आप में बताती थी कि बाधा तकनीकी नहीं, बल्कि राजनीतिक है।

उमेश पटेल ने बढ़ाया जनदबाव
जब सदन में जवाब से आगे कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो उमेश पटेल ने सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ तहसील कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन किया और सरकार पर दबाव बढ़ाया। इसके बावजूद जब समाधान नहीं निकला, तो उन्होंने जनता को सीधे इस संघर्ष से जोड़ा। उनके नेतृत्व में खरसिया के 18 वार्डों के सैकड़ों नागरिकों ने हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को सौंपा। ज्ञापन में साफ चेतावनी दी गई थी कि यदि निर्माण कार्य शीघ्र शुरू नहीं हुआ, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा। लगातार बढ़ते जनदबाव और उमेश पटेल की अडिग जिद ने आखिरकार सरकार को बैकफुट पर आने पर मजबूर कर दिया। अब वित्त विभाग ने औपचारिक स्वीकृति जारी कर दी है। अभी यह महज स्वीकृति है, इसके बाद कार्य प्रारंभ होना बाकी है। जनता को राहत तभी मिलेगी जब निर्माण कार्य धरातल पर तेजी से आगे बढ़ेगा। लेकिन यह संघर्ष यह साबित करता है कि जब जनता और उसका प्रतिनिधि मिलकर डटे रहें, तो सबसे जटिल राजनीतिक अवरोध भी टूट जाते हैं, खासकर तब जब विषय जनहित का हो।

सपनों को हकीकत बनाने की ओर कदम
खरसिया के नागरिकों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस स्वीकृति को शहीद नंदकुमार पटेल के सपनों को साकार करने की दिशा में ठोस कदम और जनता की सामूहिक जीत बताया है। उनका कहना है कि वर्षों से जिस संघर्ष का विधायक उमेश पटेल ने दृढ़ता और निरंतरता के साथ नेतृत्व किया, वही अब सफलता में बदलकर साकार होने जा रहा है।

बहरहाल यह ओवरब्रिज न केवल शहर को ट्रैफिक जाम और बार-बार बंद होने वाले रेलवे फाटक की समस्या से राहत देगा, बल्कि खरसिया के विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा। जनता का मानना है कि यह परियोजना उमेश पटेल की जिद, समर्पण और अथक परिश्रम का परिणाम है, जो आने वाले समय में खरसिया के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव रखेगी।