यूक्रेन में फंसे रायगढ़ ज़िले के छात्र… एम्बेसी द्वारा मिल रहा केवल आश्वासन.. एक टाइम खा कर रहने को मजबूर…पीएम से लगाई मदद की गुहार…


सामना न्यूज़:-रायगढ़:-रूस-यूक्रेन के मध्य विगत चार दिनों से जंग छिड़ी हुई है।रूसी सेना द्वारा भारी बमबारी व मिसाईल हमलें लगातार जारी है।ऐसे में वहाँ फसे भारतीयों की वतन वापसी चिंता का विषय है। हालांकि बीती रात तकरीबन 500 भारतीयों की वतन वापसी हुई है लेकिन अभी भी वहाँ कई भारतीय फंसे हैं जो ख़तरों के बीच मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।रायगढ़ जिलें से मेडिकल की पढ़ाई करने गए10 युवा यूक्रेन की राजधानी कीव शहर के मेट्रो स्टेशन व बंकर में शरण लिए हुए हैं। वहाँ फँसे धरमजयगढ़ के मशहूर डॉक्टर खुर्शीद खान के पुत्र कफील खान व उनकी पुत्री शिफा खान ने कहा है कि रूसी सेना द्वारा पूरी रात बमबारी की गई और उनके साथ सैकड़ों भारतीय युवा भूखे-प्यासे बम व मिसाईल हमलों के धमाकों के बीच दहशत के साए में पूरी रात जागते रहे।

बंकर में शरण लिए रायगढ़ के कफील का कहना है कि वर्तमान में वे जिस क्षेत्र में हैं वहां हर तरफ रूसी सेना द्वारा भारी बमबारी की जा रही है जिससे उनको जान का खतरा महसूस होने लगा है। हर बीतते घण्टे के साथ वहाँ रह रहें युवाओं के लिए सर्वाइकल करना मुश्किल होने लगा है
खाने-पीने की दिक्कतें बढ़ीं:- उनके पास खाने-पीने की सामग्री सीमित है जो अब महज़ एक-दो दिन के लिए ही बची है।बाहर निकलने मे बेहद ख़तरा है इसलिए वे एक टाइम खाकर ही अब अपना गुज़ारा करने मजबूर हैं। इसलिए वे जल्द से जल्द मदद की आस मलिए बैठे हैं।
भारतीय एम्बेसी से सिर्फ आश्वासन:-छात्रों का कहना है कि भारतीय एम्बेसी द्वारा उन्हें केवल आश्वासन ही मिल रहा हैं जबकि यहाँ फँसे लोगों के लिए एक एक पल बिताना मुश्किल होता जा रहा है। शनिवार को एम्बेसी द्वारा कहा गया कि ट्रेन की तीन बोगियां उनके लिए बुक की गई हैं स्टेशन में मदद के लिए अधिकारी मिलेंगे लेकिन जब 80 स्टूडेंट्स रेल्वे स्टेशन पहुंचे तो वहाँ न तो कोई ट्रेन नहीं मिली न ही कोई अधिकारी इसलिए मजबूरन उन्हें बेसमेंट वापस आना पड़ा।
सांस तक लेने में हो रही दिक्कत:-रायगढ़ की शिफा खान ने बताया कि आसपास लगातार हो रही बमबारी से पूरे ईलाके में धुंआ ही धुँआ हैं जिसकी वजह से बंकर के अंदर या बाहर अब साँस लेने में भी उन्हें परेशानी होने लगी है।
प्रधानमंत्री से आख़िरी उम्मीद:–इन विषम परिस्थितियों में उनकी एकमात्र उम्मीदें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही टिकी हुई हैं क्योंकि सिर्फ वे ही वहाँ फँसे सैकड़ों भारतीय युवाओं की जिंदगी बचा सकते हैं।
कफील खान ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विनम्र अपील करते हुए कहा कि उनकी व वहाँ फँसे सैकड़ों भारतीय युवाओं की जिंदगी अब उनके ही भरोसे है ऐसे में उन्हें उनकी और वहाँ फँसे भारतीय लोगों तक जल्द मदद पहुँचाने की कोशिश करनी चाहिए और उनकी सुरक्षित वतन वापसी करवाने की व्यवस्था को जल्दी अमल में लाना चाहिए।


