संजना शर्मा को न्याय दिलाने निष्पक्ष जांच की मांग… पुलिस की कार्रवाई संदेहास्पद !….उच्च स्तरीय जांच हो ताकि पूरी सच्चाई सामने आ सके-आलोक पांडेय

सामना न्यूज़:-रायगढ़:-बीते 31 मार्च को पार्षद संजना शर्मा आत्महत्या के बहुचर्चित मामले में पुलिस को मिले आवेदन पत्र के आधार पर पत्रकार अमित पांडेय की गिरफ्तारी हुई है और अब तक उन्हें न्यायालय से जमानत नहीं मिली है वहीं इस मामले को लेकर अभियुक्त अमित पांडेय के भाई व पेशे से पत्रकार आलोक पांडेय ने मीडिया के समक्ष अपनी बात रखने प्रेसवार्ता आयोजित की जिसमें उन्होंने संजना को न्याय दिलाने निष्पक्ष जांच के लिए प्रदेश स्तर तक जाने की बात कहते हुए कहा कि संजना शर्मा को न्याय मिलना चाहिए फिर इस मामले में चाहे दोषी कोई भी हो।
कॉल डिटेल्स की जांच हो:-पत्रकार आलोक पांडेय ने प्रेसवार्ता में कहा कि संजना शर्मा के कॉल डिटेल्स के आधार पर भी जांच होनी चाहिए जिससे यह स्पष्ट हो सके कि उनकी बात किन नंबरों पर सर्वाधिक होती रही है जिससे कि सारा सच सामने आ सके लेकिन अब तक कॉल डिटेल्स के आधार पर किसी प्रकार के जांच की बात सामने नहीं आई है। आगे उन्होंने कहा कि:-यहां तक कि जिन ख़बरों के आधार पर अमित पांडेय पर आत्महत्या के लिए मानसिक रूप से दुष्प्रेरण के आरोप लग रहे हैं उनकी लिखी पांच खबरों को मीडिया के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि उन सभी ख़बरों में ऐसा कोई भी कन्टेन नहीं है जिससे कि संजना को आत्महत्या करने मजबूर होना पड़ा हो।
मृतिका का आवेदन पत्र लीक कैसे हुआ:-आगे आलोक पांडेय ने कहा कि पुलिस इस तरह के अधिकांश मामलों में सुसाइड नोट सार्वजनिक नहीं करती है यहां तक कि घटना वाली रात पुलिस द्वारा रायगढ़ मीडिया में भी प्राप्त आवेदन को सार्वजनिक करने से गुरेज किया गया लेकिन उसी रात ही तथाकथित नोट सार्वजनिक हो चुका था…यहां तक की इस नोट की जानकारी प्रदेश स्तर तक पहुंच चुकी थी…जो कई सवालों को जन्म देती है।
हैंडराइटिंग की जांच होनी चाहिए:- आलोक पांडेय ने यह भी कहा कि हम भी चाहते हैं कि संजना को न्याय मिले इसलिए प्रत्येक तथ्य की निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए। मृतिका के घर से बरामद आवेदन पत्र की हैंडराइटिंग की जांच होनी चाहिए जिससे यह पता चल सके कि क्या वाकई संजना ने वह आवेदन स्वयं लिखा है?हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक संजना ने वह आवेदन किसी और के माध्यम से लिखवाया था जिसे टाइपिंग कर वह थाना प्रभारी को देना चाहती थी। पुलिस की कार्रवाई पर संदेह व्यक्त करते हुए आलोक पांडेय ने यह भी कहा कि इस मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट व मोबाइल के सीडीआर का पुलिस द्वारा छुपाया जाना भी संदेहास्पद है आख़िर उसमें ऐसा क्या है जिसे सार्वजनिक करने से पुलिस कतरा रही है।?
बहरहाल इस पूरे घटनाक्रम में तथ्य सिर्फ एक आवेदन पत्र है जिसमे अभियुक्त अमित पांडेय का नाम लिखित है..इसके अलावा जनचर्चाओं में ऐसे बहुत से तथ्य हैं जो प्रमाणित तो नहीं पर हर किसी की जुबां पर चर्चाओं का विषय है जिसकी भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए..ताकि मृतिका संजना शर्मा को वास्तविक न्याय मिल सके।
