अर्जुन देव की “शहीदी दिवस” पर विशेष–शहादत को नमन करने जजंघर में हुआ आयोजन.. ..सजा विशेष दिवान ..बही शबद कीर्तन की धारा….जितने जिस्म पर पड़ेंगे छाले-उतने सिख होंगे सिदक वाले:-गुरु अर्जुन देव

सामना न्यूज़:-रायगढ़:-आज सिखों के पांचवे गुरु अर्जुन देव जी महाराज की शहीदी दिवस है जिसे सिख समाज द्वारा उनकी शहादत से प्रेरणा का संकल्प कर बड़े ही श्रध्दा भाव से मनाया जाता है।शहर में भी सिख समाज द्वारा गुरु अर्जुन देव की शहीदी दिवस पर शहादत को नमन करने आयोजन किया गया जिसकी तैयारियों में कई दिनों पूर्व से ही सेवादार जुटे हुए थे।इस अवसर पर जजंघर में विशेष दिवान सजाया गया जहां सुबह से ही हजूरी रागी जत्था द्वारा शबद कीर्तन का पाठ कर संगत को निहाल किया गया। इस दौरान न केवल सिख समाज बल्कि अन्य वर्ग के लोगों ने शहीदी दिवस में शामिल होकर शबद कीर्तन सुना और लंगर ग्रहण किया।
पिलाई गई छबील-हुआ लंगर का आयोजन-सिख इतिहास में गुरु अर्जुन देव पहले सिख गुरु हुए जिनकी याद में ही छबील लगाई जाती है। जो गर्मी में मानवता के नाते लोगों को शीतलता प्रदान करने की एक पहल है। सिख समाज द्वारा न केवल आज बल्कि विगत महीने भर से छबील बाँटी जा रही है।इसके अलावा आज गुरु का अटूट लंगर भी रखा गया जिसमें सभी वर्गों के लोगों शामिल होकर लंगर प्रसाद ग्रहण किया।
सिख समाज के वरिष्ठ सदस्य सरबजीत सिंह सोनी ने कहा::-हर सिख को उनकी शहीदी से प्रेरणा लेनी चाहिए। उनकी शहादत को अपने जहन में रखना चाहिए। उनका इतिहास पढ़ना चाहिए ताकि जीवन में आने वाली किसी भी विषम परिस्थिति में अपने मार्ग से डगमगाएंगे नहीं। गुरु जी को गर्म तवे पर बैठाकर उन पर गर्म रेत डाला जाता रहा। इसके बावजूद वे शांत रहे। उनका शरीर तप रहा था लेकिन उनका मन अकाल पुरख से जुड़ा हुआ था। हमें भी उनकी तरह ही अडोल रहना चाहिए। उनकी शहादत को लासानी यानी अनोखी शहादत कहा जाता है।
कौन हैं अर्जुन देव:-
सिखों के पांचवे गुरु अर्जुन देव महाराज सिखों के पांचवें गुरु थे जिन्हें लाहौर 1606 में मुगल बादशाह जहांगीर ने शहीद कर दिया गया था। शहीदी के समय जब अर्जुन देव जी से पूछा कि आपके शरीर पर छाले पड़ रहे हैं लेकिन आप शांत हैं। तब गुरु अर्जुन देव ने कहा था कि जितने जिस्म पर पड़ेंगे छाले-उतने सिख होंगे सिदक वाले जिसका अर्थ है कि:- मेरे शरीर में जितने छाले पड़ेंगे, उतने हजारो-करोड़ों सदके वाले सिखों का जन्म होगा।

इनकी रही विशेष सहभागिता:- इस आयोजन पर प्रमुख रूप से महिंद्र राजपाल ,गुरविंदर घई , तरनजीत टुटेजा ,महेंद्र पाल गुजराल, सरबजीत सिंह सोनी, सतपाल बग्गा निर्मल घई, प्रितपाल मल्होत्रा, हर्ष पाल बग्गा, अमरजीत वाधवा, हरमीत घई, प्रभजीत सोनी,रनदीप गुजराल,राजेन्द्र कौर टुटेजा, विमला सलूजा,नीरा कौर, सुरिन्दर टुटेजा, नीतू सलूजा, जसप्रीत कौर सोनी आदि का विशेष सहयोग रहा।
